या प्रभु या झडकरि या
किति आळवुं मी तुजला !
मनिं भाव वसे सुख शांति असे
सदया, तारि आतां देवा !
हा छंद तुझा घननीळा
भुलवी जना सुखवी मना धावा देवा !
गीत | – | गो. ल. आपटे |
संगीत | – | पंडितराव नगरकर |
स्वर | – | पंडितराव नगरकर |
नाटक | – | संगीत देहूरोड |
गीत प्रकार | – | नाट्यसंगीत, भक्तीगीत |