सहज तुझी हालचाल
मंत्रें जणुं मोहिते.
सहज चालणेंहि तुझें,
सहज बोलणेंहि तुझें,
सहज पाहणेंहि तुझें
मोहनि मज घालितें.
संसृतिचा घोर भार
बघतां तूं एकवार
विलया सखि, जाय पार,
देहभान लोपतें.
गीत | – | भा. रा. तांबे |
संगीत | – | पं. कुमार गंधर्व |
स्वर | – | पं. कुमार गंधर्व |
राग | – | भैरवी |
गीत प्रकार | – | कविता |
टीप – • काव्य रचना- ३ एप्रिल१९२७, ग्वाल्हेर. • ‘तांबे गीत रजनी’ या पं. कुमार गंधर्व यांच्या कार्यक्रमातून. |